( तर्ज - संगत संतनकी करले ० )
दुनियाकि लालचोंमें ,
मत खो उमर दिवाने ! ।
कुछ पायगा न इसमें ,
सच खोज ले सयाने ! ॥ टेक ॥
ईश्वरसे लौ धरेगा ,
ईश्वर पुरा करेगा ।
दुर्जनसे प्रेम करके ,
क्या पायगा निशाने ? ।। १ ।।
जो खुद मरे मरणमें ,
वह क्या लियाज गुणमें ?
मरनाहि दे करममें ,
क्या लेयगा सयाने ! ॥२ ॥
ऐसेकि आस करना ,
जो शांति दे निभावे ' ।
तुकड्या कहे निभाना ,
सो संत एक जाने ॥३ ॥
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